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श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर भगवान गणेश का महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित भक्तों में सबसे प्रिय और लोकप्रिय विनायक मन्दिर है। इसके नाम और निर्माण के पीछे जो रोचक तथ्य है उन्हें जानना आवश्यक है। दगडूशेठ गडवे एक लिंगायत व्यापारी व हलवाई थे। 

जो कोलकत्ता से पुणे जिले में आकर बस गए थे। उनकी कार्य कुशलता के कारण लोगों में उन्हें उपनाम "हलवाई" नाम से सम्बोधित किया जाने लगा। भगवान गणेश की विशेष कृपा के कारण धीरे धीरे वे एक समृद्ध और नामचीन हलवाई बन गए। इस प्रसिद्ध मन्दिर का निर्माण उनके उनकी पत्नी लक्ष्मी द्वारा करवाया गया। इसलिए दगडूशेठ हलवाई मन्दिर के नाम से जाना जाने लगा तथा पूरे वर्ष भर भक्तों से भरा रहता है। 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर विग्रह 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मन्दिर बनने का कारण (Reason Behind the Construction of Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple )

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई और उनकी वामभागी देवी लक्ष्मीबाई नंदगाव के एक व्यापारी और मिठाई के निर्माता थे जो कोलकत्ता से महाराष्ट्र के सुन्दर और अनेक हिन्दू तीर्थों के लिए प्रसिद्ध भव्य शहर पुणे में आकर बस गए, परन्तु होनहार तो बलवान है। १८वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में फैली महामारी प्लेग में इस दम्पति जोड़े ने अपने पुत्र को खो दिया। जिससे यह दोनों एक गहरे शोक में डूब गए तथा सांसारिक कार्यों से विरक्त होने लगे। 

उन्हें इस प्रकार से टूटते देख उनके आध्यात्मिक गुरु श्री माधवदास महाराज ने उन्हें भगवान श्री गणेश और गुरु दत्तात्रेय को अपने पुत्र मानते हुए भगवान गणेश के मन्दिर के निर्माण का सुझाव दिया तथा यह भी कहा आने वाले समय में उनका यह पुत्र उन्हें जगत में एक विशेष प्रकार की प्रसिद्धी दिलायेगा। गुरु माधवदास के उचित मार्गदर्शन में भगवान गणेश के मन्दिर का निर्माण दम्पति द्वारा करवाया गया, जिसे आज श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर के नाम से जाना जाता है। 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर की मूर्ति और मन्दिर की संरचना ( Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple Statue and Temple Structure )

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर

मन्दिर की वास्तुशैली उसकी भव्यता को चारचाँद लगाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखती है जिसने १०० वर्षों से भी अधिक समय से एक समृद्ध इतिहास का साक्षी होने के गौरव अपने नाम पर सुरक्षित रखा हुआ है। 

मन्दिर के द्वार पर स्थित भगवान के दोनों प्रहरी जय और विजय मन्दिर के द्वार पर पहुंचते ही आने वाले भक्त को अपनी ओर आकर्षित कर लेते है। इसके बाद मन्दिर के निर्माण में की गयी शैली कितनी उत्कृष्ट है जिसका सबूत द्वार से ही दिखने लगता है क्योंकि द्वार से ही भगवान विनायक के दर्शन होने लगते है तथा मूर्ति की साथ की जाने वाली किसी भी प्रकार की कार्यवाही को देखा जा सकता है। 

मन्दिर में उपस्थित भगवान की मूर्ति को तीन बार बनाया गया है। पहली मूर्ति जिसका निर्माण श्रीमंत दगडूशेठ के द्वारा मन्दिर निर्माण के समय वर्ष १८९३ में करवाया गया था, वर्तमान में शुक्रवार पेठ के ग्यारह मारुति मन्दिर की शोभा बढ़ाती है। दूसरी बार मूर्ति का निर्माण व स्थापना वर्ष १८९६ में की गयी जो जीर्ण होने के कारण कोण्डवा के बाबूराव गोडसे पिताश्री वृद्धाआश्रम में भक्तो के दर्शन हेतु राखी गयी है। कालांतर में मन्दिर में स्थित मूर्ति वर्ष १९६८ में प्रसिद्ध शिल्पकार, मूर्तिकार और यन्त्र शास्त्र के ज्ञाता शंकर अप्पा शिल्पी के द्वारा मण्डल ने तैयार करवाई। जो ७.५ फीट ऊँची और ४ फीट चौड़ी तथा ४० किलो सोने से सुसजित है। भगवान गणपति की प्रतिमा का मुकुट ९ किलो स्वर्ण का है। बप्पा स्वयं इस ऐश्वर्य में कभी नहीं विराजते है बल्कि अपनी शरण में आने वाले भक्तो को दरिद्रता और विघ्न बाधाओं से मुक्ति प्रदान कर ऐश्वर्य प्रदान करते है। मन्दिर के मण्डप दीवारों पर उभरी हुई आदिशक्तियों की अद्भुत झांकी दर्शनीय है। 


श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर का महत्व ( Significance of Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple )

🚩माना जाता है कि बप्पा के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता। किसी भी भक्त चाहे वो कितना अमीर या गरीब हो अथवा किसी भी धर्म जाति का हो यहाँ पर अपनी इक्छा को लेकर आता है। गणपति उसकी इक्छा को ३० दिनों में पूरा कर देते है। 

🚩प्रसिद्ध शिल्पकार और मूर्तिकार शंकर अप्पा ने जब वर्तमान मूर्ति का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया तो समय सूर्यग्रहण का काल था। मूर्तिकार शंकर अप्पा उसमें एक गणेश यंत्र की स्थापना की थी जिससे मूर्ति की ख्याति में दिनों दिन वृद्धि हुई है। 

🚩महान स्वतंत्रता सेनानी और स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का उदघोष देने वाले बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश शासन के दौरान सार्वजनिक सभाओं को प्रतिबन्धित करने वाले आदेश के विरोध स्वरुप में सार्वजनिक उत्सव के रूप में गणेश उत्सव को मान्यता प्रदान की तथा श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर भारत का पहला मन्दिर बना जहां से गणेश उत्सव की शुरुआत हुई। 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर की पूजा का समय ( Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple worship timing )

मन्दिर प्रतिदिन प्रातः ६:०० बजे से रात्रि ११:०० बजे तक खुला रहता है, जिसमे अनेक दैनिक अनुष्ठान किये जाते है। जिनका विवरण इस प्रकार है -

मन्दिर पट खुलने का समय  - प्रातः ६:०० बजे 
दर्शन का समय ( आम जनता के लिए ) - प्रातः ६:०० बजे से ७:३० बजे तक
सुप्रभातम आरती - प्रातः ७:३० बजे से ७:४५ बजे तक 
दर्शन का समय ( आम जनता के लिए ) - प्रातः ८:१५ बजे से १:३० बजे तक 
नैवेद्यम आरती - अपराह्न १:३० बजे से अपराह्न २:०० बजे तक 
दर्शन का समय ( आम जनता के लिए ) - अपराह्न २:०० बजे से अपराह्न ३:०० बजे तक
मध्यना आरती  - अपराह्न ३:०० बजे से अपराह्न ३:१५ बजे तक
दर्शन का समय ( आम जनता के लिए ) - अपराह्न ३:१५ बजे से अपराह्न ८:०० बजे तक
महामंगल आरती - रात्रि ८:०० बजे से रात्रि ९:०० बजे तक 
दर्शन का समय ( आम जनता के लिए ) - रात्रि ९:०० बजे से रात्रि १०:३० बजे तक
शेज आरती - रात्रि १०:३० बजे से रात्रि १०:४५ बजे तक
दर्शन का समय ( आम जनता के लिए ) - रात्रि १०:४५ बजे से रात्रि ११:०० बजे तक
मन्दिर पट बंद होने का समय - रात्रि ११:०० बजे 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर में मनाए जाने वाले वार्षिक पर्व ( Annual Festivals Celebrated in Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple )

गणेशोत्सव (Ganeshotsav)

दस दिनों तक चलने वाला भगवान गणेश का यह उत्सव गणेश चतुर्थी के साथ प्रारम्भ होता है। इन दिनों मन्दिर को रोशनी से सजाया जाता है।इन दिनों की सज्जा देखने लायक होती है। 

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa)

इस दिन को मन्दिर की स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अम्बा महोत्सव (Mango Festival) 

अक्षय तृतीया के दिन मन्दिर में भगवान गणेश को प्रसाद स्वरुप दसियो हजार आम चढ़ाये जाते है। 

अम्बा महोत्सव (Mango Festival)
अम्बा महोत्सव (Mango Festival)

मोगरा महोत्सव (Arabian Jasmine Festival)

वसंतिक उती मैसूर में पाया जाने वाला एक सुगन्धित उत्पाद है। इसी सुगन्धित उत्पाद के लिए वसंत पंचमी के दिन १० मिलियन मोगरे के पुष्पों की वर्षा भगवान श्री गणेश पर की जाती है तथा पुरे मन्दिर को मोगरे के फूलों से सजाया जाता है। 

संगीत समारोह (Music Festival)

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार इस उत्सव में भाग लेते है तथा भगवान श्री विनायक के चरणों में अपनी प्रस्तुति देते है। इस उत्सव का प्रारम्भ वर्ष १९८४ से प्रारम्भ हुआ था। 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर ट्रस्ट (Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple Trust)

भगवान गणेश के आशीर्वाद से दगडूशेठ हलवाई एक सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट एक अनुभवी संगठन के रूप में विकसित हुआ है। जो मानवता की सेवा को गणपति की सेवा मानता है। जिसके लिए कोंडवा में पिताश्री वृद्धाआश्रम का संचालन करता है। इस भवन में ४०० से ज्यादा निराश्रित बच्चे आवास व शिक्षा प्राप्त करते है। ट्रस्ट मन्दिर में आने वाले चढ़ावे से छोटे कारोबार खड़े करने और छोटे विक्रेताओं को सुवर्ण योग सहकारी बैंक के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान करता है। ें सभी कार्यों के अतिरिक्त ट्रस्ट का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मन्दिर का प्रबंधन है। 

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मन्दिर दर्शन के लिए कैसे पहुंचे ? ( How to Reach Shrimanth Dagdusheth Halwai Ganpati Temple?)

मन्दिर पुणे शहर के सबसे व्यस्ततम बाजार हिस्से ( बुधवार पेठ ) में स्थित होने के कारण पुणे हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से भलीभांति जुड़ा हुआ है। मन्दिर की दूरी हवाई अड्डे से १२ किमी तथा रेलवे स्टेशन से ५ किमी है तथा दोनों ही प्रमुख यातायात के संसाधन देश के सभी छोटे बड़े शहरों से जुड़े हुए है। एक बार हवाई अड्डे से या रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के बाद आसानी से ऑटो, टैक्सी और स्थानीय राज्य परिवहन की बस उपलब्ध है आपको आपके गंतव्य पर पहुंचने के लिए। 

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