प्राचीन मन्दिरों के शहर के रूप में प्रसिद्ध उज्जैन नगरी जिसके शहर के बाजार के मध्य स्थित चिन्तामन गणेश जी का मन्दिर, भगवान श्री गणेश के प्राचीन और बड़े मन्दिरों में से एक है। मन्दिर उज्जैन शहर से लगभग ७ किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित क्षिप्रा नदी के पार बनाया गया है। पारम्परिक समय में देवताओं द्वारा दिए गए भगवान गणेश को वरदान के फलस्वरूप उन्हें चिन्ताहरण ( सभी चिन्ताओं को दूर करने वाला ) के रूप में जाना जाता है। मन्दिर के गर्भगृह में स्थित भगवान श्री गणेश का अद्भुत और आलौकिक विग्रह अन्य मूर्तियों के विपरीत एक स्वयंभू ( स्वयं प्रकट होने वाली ) विग्रह माना जाता है। चिन्तामन मन्दिर भगवान श्री गणेश के साथ ही साथ उनकी दोनों पत्नी रिद्धि और सिद्धि को भी समर्पित है।
चूंकि चिंतामणि शब्द भगवान विष्णु का ही एक नाम है। मन्दिर के आसपास के क्षेत्र में भगवान नारायण की मूर्ति भी है। यहाँ भगवान गणेश के साथ ही साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है।
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चिन्तामन गणेश |
चिन्तामन गणेश मन्दिर का इतिहास ( History of Chintaman Ganesh Temple )
मन्दिर से जुडी एक कथा जो इसकी प्राचीनता को स्पष्ट करती है कि त्रेतायुग में भगवान राम के वनवास काल में एक बार जब सीता जी को प्यास का अनुभव हुआ तो उन्होंने लक्ष्मण को जल लाने की आज्ञा दी। लक्ष्मण जी ने श्री राम की आज्ञा से तीर का संधान किया जिससे पृथ्वी का सीना फाडकर जल बाहर आ गया। जिससे एक बावड़ी का निर्माण हुआ। तब भगवान श्री राम ने वहां की दोषपूर्ण वायु को देखते हुए भगवान गणेश से इसे दूर करने की प्रार्थना की। भगवान गणेश ने स्वयं वहां प्रकट होकर श्री राम द्वारा किये गए अनुरोध को पूर्ण कर दिया तथा उसी स्थल पर स्थापित हो गए। उनके स्थापित होने के बाद भगवान राम ने मन्दिर का निर्माण करवाया।
चिन्तामन गणेश मन्दिर प्रागेतिहासिक काल का माना जाता है जिसका जीर्णोद्धार ११वीं - १२वीं शताब्दी के मध्य परमार शासकों के दिशा निर्देश में किया गया था। जिस कारण इसका ऐतिहासिक महत्व तो है ही। साथ ही साथ मन्दिर के वर्तमान स्वरुप का रानी अहिल्याबाई होल्कर की देन है जिन्होंने मन्दिर के जीर्णोद्धार के कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रागेतिहासिक काल के इस मन्दिर ने आज तक अपना आकर्षण नहीं खोया है।
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चिन्तामन गणेश मन्दिर |
चिन्तामन गणेश मन्दिर के दर्शन का समय ( Time to Visit Chintaman Ganesh Temple )
चिन्तामन गणेश मन्दिर प्रातः ५:०० बजे से रात्रि १०:०० बजे तक खुला रहता है। जिस अवधि में दैनिक अनुष्ठानों के साथ ही साथ तीन बार आरती प्रातः - ७:०० बजे चोला आरती, संध्या - ७:३० बजे भोग आरती तथा रात्रि - ९:३० बजे शयन आरती की जाती है। प्रातः प्रातः ५:०० बजे से रात्रि १०:०० बजे तक के अंतराल में भक्तगण कभी भी चिन्तामन गणेश के दर्शन प्राप्त कर सकते है।
चिन्तामन गणेश मन्दिर में मनाये जाने वाले पर्व ( Festivals Celebrated in Chintaman Ganesh Temple )
चिन्तामन गणेश मन्दिर में भगवान श्री गणेश से जुड़े हुए सभी पर्वों को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्री गणेश का दिन होने के कारण बुधवार का एक विशेष महत्व है, इस दिन मन्दिर भक्तों से खचाखच भरा रहता है। भगवान श्री गणेश के भक्तो में गणेश चतुर्थी का एक विशेष महत्व है, इस दिन तो मन्दिर स्वयं ही भगवान श्री गणेश के दरबार जैसा प्रतीत होने लगता है तथा दूर दूर से आने वाले दर्शानार्थी उनके दरबार में सिर्फ अपने स्वामी के दर्शन करना चाहते है। वही रक्षाबंधन का भी मन्दिर में अपना ही महत्व है। इस दिन महिलायें बड़ी संख्या में अपनी राखियां भगवान गणेश को भेंट करती है। इसके अतिरिक्त मन्दिर में मकर संक्रान्ति और जत्रा पर्व मन्दिर में मनाये जाने वाले विशेष पर्व है।
जत्रा पर्व
प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान का आभार देने के लिए इस पावन पर्व का आयोजन किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जत्रा की शुरुआत चैत्र मास के पहले बुधवार से होकर अन्तिम बुधवार को इसका बड़ी ही धूमधाम से समापन किया जाता है। । इस दिन भगवान चिन्तामन के अतिरिक्त आस पास के अन्य गणेश मन्दिरों को भी विशेष रूप से सजाया जाता है। पूरे चैत्र मास और उसके प्रत्येक बुधवार को इसका बड़ी घूमघाम से आयोजन किया जाता है। आसपास के किसानों ने इस प्रथा को प्रारम्भ किया किन्तु अब किसानों के साथ ही साथ आम लोग भी अब इस उत्सव में शामिल होने लगे है। इस उत्सव के दौरान भगवान को विशेष भोग लगाया जाता है। जिस भक्त की मनोकामना पूरी होती है वे भगवान को क्विंटलों में भोग लगाते है। इस उत्सव में पूरे माह लोग बड़ी संख्या में दान पुण्य करते है।
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चिन्तामन गणेश |
मकर संक्रान्ति
मकर संक्रान्ति पर तिल्ली का अपना ही एक विशेष महत्व है। पुराणों में माघ मास की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश को तिल्ली के भोग का एक विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती है तथा भगवान को तिल्ली का भोग अर्पित करती है। समय के साथ इस प्रथा में परिवर्तन आया है तथा अब महाभोग के रूप में भगवान चिन्तामन गणेश को सवा लाख लड्डूओं का महा भोग अर्पित होने लगा है तटिहा भक्तो द्वारा तिल मेले का आयोजन किया जाने लगा है। मान्यता है इस दिन सिर्फ भगवान चिन्तामन गणेश के दर्शन मात्र भक्त को समस्त चिंता से मुक्त कर देती है।
चिन्तामन गणेश मन्दिर के दर्शन का महत्व ( Importance of Visiting Chintaman Ganesh Temple )
❖ प्राचीनकाल से ही इस क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में मान्यता रही है कि जो भी विवाह करता है तो उसके परिजन यहाँ लग्न लिखवाने आते है। शादी के बाद नव विवाहित जोड़ा उसी लग्न के साथ चिन्तामन गणेश के दर्शन करते है तथा लग्न को भगवान के चरणों में ही छोड़ दिया जाता है तथा उस जोड़े द्वारा भगवान से प्रार्थना की जाती है की वे उनके वैवाहिक जीवन की सभी चिंताओं को दूर कर उन्हें सुखी जीवन प्रदान करे।
❖ भक्त किसी भी प्रकार के नए वहां की खरीद पर उस वाहन को लेकर मन्दिर आते है तथा चिन्तामन गणेश के दर्शन प्रार्थना करते है जब वह अथवा उनका परिवार इस वहान में हो तो भगवान किसी भी प्रकार की दुर्घटना से उनकी रक्षा करे।
❖ भक्त भगवान चिन्तामन गणेश से सांसारिक चिंताओं से मुक्ति की आस लेकर मन्दिर में दर्शन के लिए आते है।
❖ भक्त मन्दिर के पीछे उल्टा स्वस्तिक बना कर अपनी इक्छा भगवान श्री गणेश को बताते है तथा मनोकामना के पूरा होने पर एक बार पुनः मन्दिर में भगवान श्री गणेश के समक्ष उपस्थित होते है तथा आभार स्वरुप पुनः मन्दिर के पीछे सीधा स्वस्तिक बना कर रक्षा सूत्र बांधते है।
❖ ऐतिहासिक दृष्टि से मन्दिर प्रागैतिहासिक काल से सम्बंधित होने के कारण अति महत्वपूर्ण माना जाता है।
चिन्तामन गणेश मन्दिर का प्रवेश शुल्क ( Entry Fee of Chintaman Ganesh Temple )
चिन्तामन दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को भगवान चिन्तामन के दर्शन के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होता है।
चिन्तामन गणेश मन्दिर में दर्शन का सबसे अच्छा समय ( Best Time to Visit Chintaman Ganesh Temple )
वैसे तो श्रद्वालु भक्तों को वर्ष के किसी भी दिन भगवान के दर्शन प्राप्त करने की सुगमता है। किन्तु सितम्बर से मार्च का समय सबसे उत्तम समय है क्योकि इस समय तापमान भी कम हो जाता है तथा भगवान श्री चिन्तामन गणेश मन्दिर के सभी मुख्य उत्सवों का आयोजन भी इन्ही कुछ महीनो में किया जाता है, जिसके दौरान मन्दिर और उसके आसपास की शोभा दर्शनीय होने के साथ ही साथ एक दिव्य आभा को अनुभव करने का सबसे अच्छा समय है।
चिन्तामन गणेश मन्दिर कैसे पहुंचे? ( How to Reach Chintaman Ganesh Temple )
हवाई मार्ग से ( By Air )सबसे निकटवर्ती हवाई अड्डे के रूप में महारानी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा, जहा से मन्दिर की दूरी लगभग ५६ किमी के आसपास है, एक बेहतरीन विकल्प माना जा सकता है। हवाई अड्डे से बाहर निकल कर राजकीय बस, प्रीपेड टैक्सी तथा किराये पर उपलब्ध टैक्सियां गंतव्य तक पहुंचने के लिए २४ घंटे उपलब्ध है। | रेल मार्ग से ( By Train )लोगो के मध्य ट्रैन द्वारा की जाने वाली यात्रा एक बजट यात्रा के साथ ही साथ कम्फर्टेबल यात्रा के रूप में प्रचलित है। उज्जैन जंक्शन रेलवे स्टेशन सबसे निकटवर्ती स्टेशन है जहा से मन्दिर ७ किमी के लगभग दूर है। रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर स्थानीय परिवहन सबसे बेहतरीन विकल्प है चिन्तामन मन्दिर पहुंचने के लिए। | सड़क मार्ग से (By Road )उज्जैन में प्रमुख बस स्टैण्ड देवास गेट और नानाखेड़ा है। जिनके लिए मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से नियमित साधारण, सुपर फास्ट और डीलक्स वातानुकूलित बस सेवा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त निजी वाहन के द्वारा चिन्तामन मन्दिर पंहुचा जा सकता है। |
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