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मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर एर्नाकुलम

मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर दक्षिण भारत के केरल के एर्नाकुलम के वेन्नाला-एरूर मार्ग पर स्थित एक हिन्दू देवस्थल है। जिसके अधिष्ठाता देवता के रूप में बालरुपी भगवान कृष्ण है। यहाँ के पीठासीन देवता इन कृष्ण भगवान को यहाँ के स्थानीय निवासी "बाल विशेषज्ञ" के नाम से भी सम्बोधित करते है। मन्दिर में बालकृष्ण के अतिरिक्त अय्यपन, अय्याक्षी, शिव- पार्वती और अंतिमहाकाली उपदेवता के रूप में पूजित है।   


मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर एर्नाकुलम
मन्दिर गर्भगृह 

इस स्थल का मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर का निर्माण एलमपरककोड़ाथु माना जो इस क्षेत्र के जमींदार थे, एक प्राचीन नम्बूदिरी परिवार में जन्मे देव भक्त थे। उनके पास आस पास के श्री पूर्णनाथरायसा मन्दिर और पिशारी कोविल भगवती मन्दिर के स्वामी थे। 

मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर की दंतकथा  

जैसा की जग को ज्ञान है की कृष्ण के जन्म का उद्देश्य संसार में धर्म की स्थापना था। जिसका प्रारम्भ उन्होंने अपने ही मातुल्य कंस के द्वारा भेजे गए, अनेक असुर और राक्षनीयो का वध करके किया था, जब वे शिशु ही थे। ऐसी क्रम में जब कंस ने पूतना को भेजा और उसने जब स्तनपान कराया तो दूध पीते शिशु कृष्ण ने उसके प्राण खींच के उसे मोक्ष प्रदान किया था। जब भगवान मय्या यशोदा के सामने प्रकट हुए तो वे रोने लगे। माता यशोदा को लगा उन्हें जहर लग गया है तो उन्होंने कुएं के जल को उन पर डाल का अमृत की वर्षा कर दी। इसलिए चूँकि उन्होंने बाहर से आयी पूतना को मार डाला था इसलिए इसे मरमकुलंगरा जिसका अर्थ है "वह जिसने मारने के लिए आने वाली महिला को मार डाला"। इसी प्रथा का पालन करते हुए मंदिर में आने वाले सभी छोटे बालको को मन्दिर के जल कुंड अथवा कुंए के जल को दाल कर स्न्नान कराया जाता है। 


मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर एर्नाकुलम
मन्दिर गर्भगृह 

मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर का महत्त्व 

हिन्दू धर्म में प्राचीन मान्यता है की छोटे शिशुओं को प्रातः और सायं संध्या के समय खुले स्थान पर नहीं ले जाना किये क्योंकि इस समय दुष्ट शक्तियां पक्षी रूप में निकलती है। इस मन्दिर के पीठासीन देवता मरमकुलंगरा कृष्ण को छोटे शिशुओं का रक्षक माना जाता है। इस मन्दिर में शिशुओं को अन्न प्राशन जिसे स्थानीय भाषा में छोरूनु ( पहली बार अन्न देने की रस्म ) से पहले भी कृष्ण की कृपा पाने के लिए लाया जाता है। जिसमें बच्चों को मंदिर के सामने स्थित कुण्ड के जल से स्न्नान कराया जाता है। स्न्नान के बाद उनके बदन को पोछने के लिए किसी भी प्रकार के वस्त्र जैसे तौलिया, अँगोछा आदि का प्रयोग न करके उन्हें प्राकृतिक रूप से सूखने दिया जाता है।


मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर एर्नाकुलम
मंदिर के सामने स्थित कुण्ड

मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर कैसे पहुंचे ?

सड़क मार्ग से 

केरल का एर्नाकुलम दक्षिण भारत के सभी मुख्य शहरों से एक सुनियोजित तरीके से जुड़ा हुआ है। मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर जाने के लिए सबसे निकटतम बस अड्डा एर्नाकुलम बस स्टेशन है। जहाँ से मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर की दूरी ७.४ किमी है। जिसके लिए आप वह से किराये पर उपलब्ध टैक्सी भी ले सकते है।


रेल मार्ग से 

निकटतम रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम जंक्शन है। जो देश के सभी मुख्य रेलवे स्टशनों से जुड़ा हुआ है। जहां से मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर की दूरी ७ किमी है, जिसे आप स्थानीय बस या किराये पर उपलब्ध टैक्सी के द्वारा पूरा करके मन्दिर में दर्शन कर सकते है। 


हवाई मार्ग से 

सबसे निकटतम हवाई अड्डा कोचीन  हवाई अड्डा है। जहाँ से मरमकुलंगरा कृष्ण मन्दिर की दूरी 29 किमी है। जहां से आप मन्दिर तक स्थानीय  केएसआरटीसी ( केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ) बस सेवा अथवा किराये पर उपलब्ध कैब के द्वारा मन्दिर तक पहुँच सकते है। 


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