छोटानिकारा मन्दिर से जुडी किवदंती
मन्दिर और उसके क्षेत्र से जुडी उसकी किंवदंती भी मंदिर की ही तरह रोचक है।
एक बार पराशक्ति की प्रेरणा से आदि शंकराचार्य के मन में विचार आया विचार आया कि केरल की पवित्र धरती पर देवी सरस्वती का कोई भी मंदिर नहीं है। ऐसा विचार आते ही उन्होंने चामुंडी पहाड़ियों की तरफ अपना रूख कर लिया और वहां पहुंच कर उन्होंने तप करना प्रारम्भ कर दिया। प्रसन्न होने पर देवी ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। तो आदि शंकराचार्य ने उन्हें अपने गृहनगर केरल ले जाना चाहते की अभिलाषा व्यक्त की, ताकि वहां के लोगों जिनमे अधिकांश वृद्ध लोग थे को लम्बी दूरी की यात्रा करने में मुश्किल होती थे। देवी के दर्शन करने में असमर्थ रहते थे। बहुत अनुनय विनय के बाद देवी इस शर्त पर साथ चलने को तैयार की वो उनके अनुगत (अर्थात पीछे पीछे ) चलेंगी लेकिन वो किसी भी परिस्थिति में पीछे मुडकर यह नहीं देखेंगे की देवी उनके पीछे है या नहीं। यदि वह पीछे मुड कर देखेंगे तो देवी उसी स्थान पर स्थिर हो जायेंगी और आगे नहीं चलेंगी। शंकराचार्य देवी से सहमत हो गए और देवी ने उनका अनुसरण करना प्रारम्भ कर दिया। जब वह चलते चलते कोडाचाद्री की पर्वत श्रृंख्ला पर पहुंचे तो आदि शक्ति जगदम्बा ने शंकराचार्य परीक्षा लेने का विचार किया और अपनी पायल से उत्पन्न होने वाली झनझनाहट को रोक दिया। पायल की झनझनाहट शंकराचार्य के लिए संकेत था की देवी उनके पीछे पीछे चल रही है। जब उन्होंने कुछ देर तक पायल की झनझनाहट नहीं सुनी तो तो उन्होंने पीछे मुड़ कर देवी की तरफ देखा तो देवी अपनी शर्तानुसार वही स्थित हो गयी। इसी स्थल पर वर्तमान का कोल्लूर मुकाम्बिका मन्दिर स्थित है। आदि शंकराचार्य को अपने द्वारा की गयी इस भूल का अहसास होते ही वे बारम्बार देवी से विनति करने लगे। काफी प्रयासों के बाद देवी इस बात पर तैयार हुई कि वह प्रतिदिन प्रातःकाल छोटानिकारा मन्दिर में आयेंगी और अपने भक्तों को दर्शन प्रदान करेंगी परन्तु दोपहर में कोल्लूर वापस आ जायेंगी। तब से आज तक प्रथा स्वरुप कोल्लूर मुकाम्बिका मन्दिर से पहले छोटानिकारा मन्दिर के पट खोले जाते है और माँ शारदा का पूजन किया जाता है।
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मन्दिर परिसर |
छोटानिकारा मन्दिर का परिसर और उसके मन्दिर
मुख्य रूप से विशिष्ट केरल वास्तुशैली में लकड़ी का प्रयोग करके कोच्चि के बाहर बनाये गए छोटानिकारा मन्दिर परिसर में दो स्तरीय देवी मन्दिर के अतिरिक्त कई अन्य छोटे छोटे मन्दिर निर्मित है।
मुख्य छोटानिकारा मन्दिर
यह एक खुले मैदान में बना हुआ मन्दिर परिसर का सबसे बड़ा मन्दिर है, जिसमें पीठासीन देवता नारायण की पूजा उनकी शक्ति देवी नारायणी के साथ की जाती है। जो की मुख्य स्वरुप में महालक्ष्मी का ही रूप है।
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नारायण और देवी छोटानिकारा |
किजुक्कावु मन्दिर
यह एक प्राचीन मन्दिर है, जो मुख्य मंदिर के नीचले स्तर पर स्थित है ऊपरी तल सीढ़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दोनो के बीच एक मंदिर का कुंड है। जिसकी पीठासीन देवता के रूप में देवी भद्रकाली शोभायमान है। जिन्हे कीझक्कावू भगवती कहा जाता है।
छोटानिकारा मन्दिर का महत्त्व
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छोटानिकारा मन्दिर में की जाने वाली पूजा का समय
दैनिक पूजा | पूजा का समय |
नाडा ( गर्भगृह के पट खुलना ) भगवान शिव की धारा एथ्रथू पूजा प्रातः सेवेली प्रातः गुरुथी पूजा पंथीराडी पूजा भगवान शिव की धारा उच्च पूजा दोपहर सेवेली शाम नाडा दीपराधना अथाह पूजा सायं सेवेली संध्या गुरुथी पूजा |
प्रातः ४:०० बजे प्रातः ५:०० बजे प्रातः ५:३० बजे प्रातः ६:०० बजे प्रातः ७:३० बजे प्रातः ७:४५ बजे प्रातः ११:०० बजे अपराह्न १२:०० बजे अपराह्न १२:१० बजे सायं ४:०० बजे सायं ६:३० बजे सायं ७:३० बजे सायं ८:०० बजे सायं ८:४५ बजे |
** देवी के वह भक्त को केरल तक नहीं जा सकते है। उनके लिए मन्दिर में की जाने वाली दीप आराधना का सीघा प्रसारण मन्दिर वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
वेदी वजीपाडु
वेदी वजीपाडु (एक प्रकार का पटाखें फोडने) का उत्सव मन्दिर में मनाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का अनुष्टान है, जिसे मन्दिर में किया जाता है। इस पूजा को करने के लिए आप मन्दिर प्रशासन से पूजा के लिए बुकिंग कर सकते है, जिसे मन्दिर प्रशासन द्वारा नियुक्त कर्मचारी फोडता है। यह अनुष्ठान इस मन्दिर का मुख्य आकर्षण का हिस्सा है। यह दोनों मुख्य मंदिरों को जोड़ने वाली सीढ़ियों के निकट ही किया जाता है।
छोटानिकारा मन्दिर में मनाये जाने वाले मुख्य उत्सव
नवरात्रि
मन्दिर जिसका मुख्य अलंकार एक भगवती है,अतः अन्य देवी मंदिरों की ही तरह नवरात्रि का पर्व मन्दिर का सबसे हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला एक उत्सव है। दुर्गाष्ठमी, दुर्गानवमी और विजयादशमी तीनों दिन मन्दिर में हर्षोल्लास के साथ हजारों भक्तों के द्वारा मनाये जाते है। विजयादशमी के दिन विद्यारंभम के रूप में आयोजित होता है। जिसमें ३ से ६ आयु वर्ष के शिशुओं को विद्या की देवी के समक्ष पढ़ने, लिखने और अंकगणित की दीक्षा देने का प्रावधान है।
माकम थोझाली
छोटानिकारा मन्दिर में वार्षिक उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला मकम थोझल या माकम थोझल का उत्सव है। मान्यतानुसार इस दिन विल्वुमंगला स्वामी ने देवी के दर्शन किये थे इस लिए देवी के भक्त इस दिन उनकी उपासना करते है। इस दिन देवी को प्रातः उत्तरी किनारे पर स्थित कैली ओनाकुट्टीचिरा ( पवित्र जलकुंड ) में अनुष्ठानिक स्न्नान के लिए लाया जाता है। इसके उपरांत देवी को उनके मन्दिर तक लाया जाता है। जहा से वो सात हाथियों पर भगवान सस्थ के साथ सवार होकर पूरापरंभु की ओर जाती है।
मध्याह्न के समय गर्भगृह का द्वार उच्च पूजा के लिए बंद किया जाता है तथा पुनः दोपहर २ बजे "मकम दर्शन" के लिए खोला जाता है। जिस समय विल्वुमंगला स्वामी ने देवी के दर्शन किये थे उस देवी अपने पूर्ण वैभव में प्रकट हुई थी और विल्वुमंगला स्वामी के द्वारा उनकीप्रतिष्ठा के बाद वे पश्चिम को चली गयी थी। छोटानिकारा देवी के उसी वैभवपूर्ण रूप जिसमें वह अपने सुन्दर चारो हांथो में वर,अभय, शंख और चक्र के साथ सुन्दर अभूषणों से शुसोभित होती है। अपने भक्तों को दर्शन देती है। स्थानीय मान्यता के अनुसार यह देवी का सबसे प्रबल रूप होता है और इस समय पर दर्शन करने से भक्त की सभी प्रार्थना और इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है।
छोटानिकारा मन्दिर में रहने की व्यवस्था
चूँकि वो भक्त जिनको मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। वे देवी की ४१ दिन तक प्रार्थना करते है और उनमे से की भक्त दूर दूर से आते है इस लिए मन्दिर प्रशासन की तरफ से रहने की व्यवस्था उपलब्ध कराई गयी है, जिसका शुल्क भी बहुत ही न्यूनतम निर्धारित किया गया है। जिसके लिए आपको जाने से पूर्व ही सुचना प्रदान करके कमरे का आरक्षित कराना पड़ता है। कमरों की सूंची इस प्रकार है -
कमरों का नाम | कमरों का प्रकार | शुल्क प्रतिदिन | |
नारायण मन्दिर | डबल बेड रूम ( बिना ए सी ) | ४००.०० भारतीय रूपए ८००.०० भारतीय रूपए ११००.०० भारतीय रूपए २०००.०० भारतीय रूपए १२५०.०० भारतीय रूपए ६५०.०० भारतीय रूपए २००.०० भारतीय रूपए २००.०० भारतीय रूपए |
कमरे की बुकिंग के लिए आप चेक,ड्राफ्टऔर मनी आर्डर भी भेज सकते है जिसका विवरण इस प्रकार है -
चेक और ड्राफ्ट के लिए : आवास प्रबंधक, छोटानिकारा देवस्वोम | मनी आर्डर के लिए : आवास प्रबंधक, छोटानिकारा देवस्वोम, छोटानिकारा, जिला एर्नाकुलम, केरल - ६८२ ३१२ |
☎ ०४८४ - २७११०३२ और २७१३३००
📧 eo@chottanikkarabhagavathy.org
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