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कर्पका विनायक मन्दिर पिल्ल्यारपट्टी

ज्ञान और भक्ति को समर्पित एक ऐसा गुफा मन्दिर जो भगवान श्री गणेश के विनायक रूप को समर्पित है, तमिलनाडु के पिल्ल्यारपट्टी नाम के एक छोटे से शहर में स्थित है। कर्पका विनायक मन्दिर जिसकी मूर्ति कला ही उसकी एक अनूठी विशेषता है क्योंकि इसमें यहाँ पर उपस्थित श्री विनायक प्रतिमा दो हाथों के साथ है, इस प्रकार की प्रतिमा पूरे संसार में सिर्फ दो ही है जिनमे से इस तो पिल्लयारपट्टी में उपस्थित कर्पका विनायक मन्दिर और दूसरी प्रतिमा अफगानिस्तान में है। मूल मन्दिर एक शिव मन्दिर है और समय के साथ केवल गणेश मन्दिर के रूप  में प्रसिद्ध हो गया। तमिलनाडु राज्य में सबसे पुराने रॉक कट मन्दिरों में से एक होने के नाते, यह शानदार शिल्प कौशल और बीते युग के इंजीनियरिंग का प्रमाण है।


कर्पका विनायक मन्दिर पिल्ल्यारपट्टी
कर्पका विनायक


इतिहास 

मन्दिर के भीतर १५ से अधिक शिलालेख पाए गए है। जिनके द्वारा मन्दिर की आयु का निर्धारण किया गया है। जिसके आधार पर इसको तीन अलग अलग चरणों में विभाजित किया गया है। 


प्रथम चरण 

मन्दिर लगभग १६०० वर्ष पुराना है। इस चरण में कर्पका विनायक और तिरुवीसर के गुफा मन्दिर की खोज की गयी थी। माना जाता है कि यह शिलालेख महेन्द्रवर्मन प्रथम और नरसिंहवर्मन प्रथम के शासनकाल के है। हालाँकि कुछ शिलालेख इसे पाण्ड्य साम्राज्य से भी जोड़ते है जो की प्रकार से तर्कसंगत भी है। 


दूसरा चरण 

मन्दिर के भीतरी भाग से मिले शिलालेखों जो की १०९१ से १२३८ ईस्वी के है से ज्ञात होता है। मन्दिर के विमानम और राजगोपुरम का निर्माण १३वी शताब्दी के पिल्लयारपट्टी नगरत्तर के द्वारा कराया गया, जो की मन्दिर के तत्कालीन संरक्षक थे। 


तीसरा चरण 

इस काल में मन्दिर का विकास कार्य सर्वश्रेष्ठ रूप से किया गया जिसमे जलकुण्ड और राजगोपुरम के निर्माण के साथ ही साथ जीर्णोद्वार के कार्य का भी ध्यान रखा गया। इस चरण में मन्दिर की पूजा और अनुष्ठान का कार्य मन्दिर के नगरथार समुदाय ने संभाला और पारम्परिक रूप से अपनी सेवायें मन्दिर को दी। 


वास्तुकला

प्राथमिक गर्भगृह जिसे विनयगर सन्निधि के नाम से सम्बोधित किया जाता है, भगवान श्री विनायक को समर्पित है। छः फीट के पत्थर पर उकेरित गणेश जी का मुख उत्तर दिशा की ओर है। चूँकि यह एक रॉक कट ( गुफा मन्दिर ) प्राकृतिक पहाड़ी चट्टान पर बना हुआ है। इसलिए दर्शन के बाद की जाने वाली प्रदक्षिणा का प्रावधान नहीं है। यहाँ पर पूजित देव प्रतिमा के दो हांथ है, जिसमें से एक में मोदक और दूसरा अभयमुद्रा में है तथा सूड़ दाई ओर मुड़ी हुई है। जो की इस मूर्ति को कुछ असमान्य बनाई है। क्यूंकि आप अभी तक भगवान विनायक की जिस भी मूर्ति को देखते है, उसके चार हाँथ होते है। 

कर्पका विनायक मन्दिर पिल्ल्यारपट्टी
मन्दिर गोपुरम और जलकुण्ड 
गर्भगृह की दीवार के पश्चिम की ओर की गुफा गर्भगृह के केन्द्र में ७वीं शताब्दी का शिवलिंग है। दोनों गर्भग्रहों के मध्य एक मानवाकृति पायी गयी है जिसके विषय में वो किसकी है के स्पष्ट संकेत प्राप्त नहीं होते है। कुछ लोग इस आकृति की अर्धनारीश्वर तो कुछ इस हरिहर ( आधे विष्णु आधे शिव ) तो कुछ इसे एक राजा की प्रतिमा कहते है। बाद के विस्तार में इस मंदिर कई मण्डपम, शिव मन्दिर, नटराज मन्दिर, चन्देसर मन्दिर तथा शिवकामी अम्मन मंदिर भी शामिल किये गए। धर्माथ कार्यो के लिए किसी भी शैव परम्परा मन्दिर की ही तरह मदापल्ली नामक मन्दिर रसोई घर है। 

पूजा, धार्मिक महत्त्व और उत्सव 

प्रत्येक दिवस प्रातः ६ बजे से रात्रि ९ बजे तक दर्शन करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुँचते रहते है। इस समयावधि में मन्दिर के पुजारियों द्वारा पीठासीन देवता को पांच पूजा सेवाए दी जाती है। प्रत्येक अर्ध चंद्र के माह के चौथे चरण में कर्पका विनायक मन्दिर या पिल्लयारपट्टी मन्दिर के चारों ओर जुलूस जैसा उत्सव, सैकड़ो तीर्थयात्रियों द्वारा मनाया जाता है। जो भक्त चतुर्थी का पालन करते है तथा वर्ष भर उपवास रखते है। वे अवनि सृक्किलाप्चा चतुर्थी के दिन पीठासीन देवता के दर्शन के लिए पिल्लयारपट्टी आते है तथा कुमनाजेबम में भाग लेते हुए पवित्र पात्र का जल ग्रहण करते है। मन्दिर में प्रति दिन किये जाने वाले पांच अनुष्ठान निम्न प्रकार है -

  • प्रातः ६:०० बजे से ६:३० बजे तक - तिरुवनंदल अभिषेकम  
  • प्रातः ८:३० बजे से ९:३० बजे तक - कालसंथी अभिषेकम
  • प्रातः ११ :३० बजे से १२:०० बजे अपराह्न तक - उचिकलम अभिषेकम
  • सायं  ५:०० बजे से ६:३० बजे तक - सयारक्षाई अभिषेकम
  • सायं  ७:४५ बजे से रात्रि ८:३० बजे तक - अर्धजमाम अभिषेकम
यदि आप किसी भी प्रकार की पूजा और अभिषेक को कराना चाहते है। तो इसके लिए आप मन्दिर प्रशासन से उनके कार्यालय में पहले से सम्पर्क कर सकते है जिसका पता पेज के अंत में नीचे दिया गया है। 

महत्त्व 

कर्पका विनायक मन्दिर में आने वाले भक्तगण निम्न भाव को लेकर कर्पका विनायक के दर्शन करने आते है और उन्हें अपनी भक्ति भावना के अनुरूप ही फल की प्राप्ति होती है -

  • जीवन में समृद्धि।  
  • संतान प्राप्ति हेतु पूजा अर्चना करना।  
  • अपने जीवन में आये हुए किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और अशुभ प्रभावों से मुक्ति हेतु। 
  • अपने जीवन में सुख शान्ति प्राप्त करने के लिए। 
  • बार - बार होने वाले असाध्य रोग से मुक्ति के लिए। 
  • व्यापार और शिक्षा में उन्नति के लिए। 

उत्सव 

मन्दिर में मनाया जाने वाला विनायक चतुर्थी का उत्सव वार्षिक उत्सव है, जो दस दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव का प्रारम्भ ध्वज फहराकर कप्पूकट्टू से होती है। ६टवे दिन से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तथा भगवान विनायक को सड़को के माध्यम से जुलूस में लाया जाता है। जिसके लिए उन्हें ९ दिन तक अलग अलग वाहनों में लाया जाता है -

पहला दिवस - चाँदी का मुशिकावाहनम 
दूसरा दिवस - सिम्मावाहनम
तीसरा दिवस - बूढावाहनम
चौथा दिवस - कमलावाहनम
पांचवा दिवस - चाँदी के ऋषभवाहनम
छठवा दिवस - कागामुगासुर संस्कारम तक चाँदी के हाथी वाहनम पर तदोपरांत स्वर्ण बैंडिकूट वाहनम में 
सांतवा दिवस - चाँदी का मयूर वाहनम 
आंठवा दिवस - अश्व वाहनम 
नौवां दिवस - कार या हाथी वाहनम 

दसवें दिन तीर्थवरी के साथ इस उत्सव का समापन किया जाता है। इन दिन मन्दिर फर्श को सजाया जाता है। यह परम्परा तब और भी महत्वपूर्ण हो गयी। जब मन्दिर का जीर्णोद्वार के दौरान १९वीं शताब्दी के अंत में पंचलोगा से बनी उत्सव मुर्तिया मिली। जो संभवतः ११वीं शताब्दी के हैं। 


कर्पका विनायक मन्दिर पिल्ल्यारपट्टी कैसे पहुँचे ?

पिल्लयारपट्टी जाने का सबसे उचित समय सर्दियों का है। जब मौसम अन्य मौसम की तुलना में सबसे ज्यादा सुहावना होता है। पिल्लयारपट्टी का सबसे निकटवर्ती शहर कराईकुडी, जिससे इसकी दूरी १५ किमी है, परन्तु कुछ कम चर्चा में रहने के कारण सबसे निकटवर्ती शहर मदुरै को ही माना जाता है। देश के प्रमुख शहरों से मदुरै एक सुनियोजित यातायातकीय तंत्र के द्वारा जुड़ा हुआ है। अतः आप यदि पिल्लयारपट्टी आने की योजना बना रहे है, तो चाहे आप हवाई, रेल या सड़क कोई भी मार्ग का चुनाव करें, मदुरै ही उचित विकल्प के रूप में सामने आता है। जहाँ से आप राज्य परिवहन की बस अथवा किराये पर टैक्सी आदि से कर्पका विनायक मन्दिर तक सुगमता से पहुंच सकते है। 


कर्पका विनायक मन्दिर आधिकारिक फोन नम्बर और ईमेल 

पता - P. K. NK. ट्रस्ट पिल्लयारपट्टी, शिवगंगई जिला, तमिलनाडु पिनकोड - ६३० २०७ 
✉ - pknkpillaiarpatti@gmail.com   
☎ - ०४५७७-२६४२४०, ९३८४४ ४६२८५ 



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