आदियोगी शिव प्रतिमा के निर्माण में ५०० टन स्टील का प्रयोग करके ४५ मीटर ( १४७ फीट ) लम्बी, २५ मीटर ( ८२ फीट ) चौड़ी और ३४ मीटर ( ११२ फीट ) ऊँची प्रतिमा का निर्माण किया गया है। जिसको गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शिवजी की सबसे बड़ी मूर्ति होने के रूप में मान्यता प्राप्त है। आदियोगी शिव मूर्ति का उद्घाटन देश के वर्तमान प्रधान जनसेवक माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा २४ फरवरी २०१७ को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, किया गया था। भारतीय पर्यटन मंत्रालय ने मूर्ति को अपने आधिकारिक अतुल्य भारत अभियान में भी सम्मिलित किया हुआ है।
प्रतिमा ईशा फाउंडेशन के परिसर में स्थित है जिसमे विशाल प्रतिमा के समक्ष ही प्रसिद्ध ध्यानलिंग मन्दिर है। भगवान आदियोगी शिव की यह प्रतिमा योगिक संस्कृति के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने की ११२ संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिमा की स्थापना के ही समय मन्दिर में योगेश्वर लिंग जिसमे कोई अनाहत नहीं है को ह्रदय योगी ( वह व्यक्ति जो ह्रदयहीन होने के स्थान पे किसी भी भावना को अनुभव करने के चरण से परे है ) का प्रतीक मानते हुए यहाँ स्थापित किया गया था। क्योकि शिवलिंग में पांच चक्र होते है - मूल या मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर, कंठ या विशुद्धि चक्र और अजना चक्र , जिनमे से प्रत्येक के छ आयाम होते है। यदि आप मोक्ष प्राप्ति की कामना को ह्रदय में संजोये हुए है तो स्वयं की खोज के लिए आदियोगी परिसर का ध्यानलिंग परिसर आपके लिए एक मनोवांछित स्थल है।
आदियोगी शिव के दर्शन का समय, पूजा प्रक्रिया व शुल्क
आदियोगी शिव प्रातः ८:०० बजे से सायं ७ बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है परन्तु ध्यानलिंग परिसर १०:३० बजे प्रातः से सायं ५:३० बजे तक खुला रहता है। शुक्रवार, शनिवार और रविवार के दिन और शिवरात्रि के दिन ध्यानलिंग के पट बंद रहता है।
योगेश्वर लिंग प्रसाद
योगेश्वर लिंग को ऊर्जा के खुले आयाम के रूप में जाना जाता है, इसलिए भक्त उन्हें जल और नीम के पत्ते श्रद्धाभाव से समर्पित करते है।आदियोगी वस्त्र
आदियोगी प्रदक्षिणा
पूर्णिमा
अमावस्या
प्रत्येक अमावस्या के दिन आसपास के निवासियों द्वारा योगेश्वर के लिंग पर पारम्परिक प्रसाद अर्पित किया जाता है। तत्प्श्यात प्रसाद वितरण और संगीत कार्यक्रम किया जाता है।
सबसे अच्छी बात है, की ईशा फाउंडेशन यहाँ आने वाले सभी आगंतुकों को प्रवेश की निशुल्क सुविधा प्रधान करता है।
आदियोगी शिव दिव्य दर्शन
आदियोगी दिव्य दर्शनम एक ३D लेजर शो है जिसमे सद्गुरु की आवाज में मनुष्य को योग के वैज्ञानिक सिंद्धांत से परिचय कराये जाने के साथ साथ आदि योगी की कहानी भी बताई जाती है। साउंड्स ऑफ़ ईशा इस शो की मुख्य जान है, जो की १४ मिनट का एक लाइट एंड साउंड शो है। इसका उद्घाटन देश के सर्वोच्च व्यक्ति श्री रामनाथ कोविंद के कर कमलों द्वारा महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर वर्ष २०१९ में किया गया था।
ईशा योग केन्द्र कैसे पहुँचे ?
योग का स्रोत्र योग का स्रोत्र, कोयंबटूर तमिलनाडु के व्यापारिक शहर से ३० किमी की दूरी पर स्थित है। चूँकि यह एक औद्योगिक नगर है, अतः देश के प्रमुख हवाई, रेल व सड़क मार्ग इससे एक योजना बद्ध तरीके से जुड़े हुए है।
सड़क मार्ग से
दक्षिण भारत के सभी मुख्य शहरों से कोयंबटूर इस सुव्यवस्थित सड़क तंत्र के द्वारा जुड़ा हुआ है। कोयंबटूर के गांधीपुरम बस स्टेशन से आदियोगी शिव के मध्य चलने वाली स्थानीय बस सेवा जो हर ४५ मिनट के अंतराल पर उपलब्ध है, सीधे द्वार तक आपको पहुंचने का कार्य करती है। जो की सबसे सरल माध्यम है, ईशा ध्यान केन्द्र तक पहुँचने का। जहाँ से ध्यानलिंग मन्दिर तक १० मिनट की एक आनन्ददायक यात्रा आप पैदल चल कर कर सकते है।
रेल मार्ग से
निकटतम रेलवे स्टेशन कोयंबटूर रेलवे स्टेशन है। जो की देश के विभिन्न छोटे बड़े रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। जहां से आपके गंतव्य की दूरी लगभग ३० किमी के आस पास है। अतः आप रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर गांधीपुरम बस स्टेशन जा सकते है अथवा किराये पर टैक्सी लेकर सीधे ही योग के स्रोत्र तक पहुंच सकते है।
हवाई मार्ग से
सबसे निकटतम हवाई अड्डा कोयंबटूर हवाई अड्डा है। जहाँ से आदियोगी की दूरी ४२ किमी के आस पास है। आप हवाई अड्डे से बाहर निकलकर स्थानीय सरकारी बस या किराये पर टैक्सी लेकर अपने गंतव्य आदियोगी के द्वार पर पहुंच सकते है।
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