तमिलनाडु के पवित्र गांव पट्टेश्वरम जो कुम्भकोणम से ६ किमी दूर कुम्भकोणम-आवूर मार्ग पर स्थित भगवान महादेव को समर्पित थेनुपुरीश्वरर मन्दिर एक प्रतिष्ठित शैव मन्दिर है। थेनुपुरीश्वरर मन्दिर में भगवान शिव को थेनुपुरीश्वर के रूप में पूजा जाता है जिसका प्रतिनिधित्व मंदिर गर्भगृह में उपस्थित लिंगम द्वारा किया जाता है। मन्दिर जिले के सबसे ज्यादा दर्शनीय मन्दिरों में से एक है। ७वीं शताब्दी के तमिल कवियोँ द्वारा तेवरम (शिव वंदना) में पीठासीन देवता भगवान थेनुपुरीश्वर को वर्णित किया गया है। इसके अतिरिक्त थेनुपुरीश्वरर मन्दिर को पाडल पेट्रा स्थलम (महाद्वीप के सर्वक्षेष्ठ शिव मन्दिर) की श्रेणी में रखा गया है। मन्दिर के पीठासीन देवता की पत्नी भगवती पार्वती को न्यानम्बिकई या सोमकमलम्बिगई के रूप में पूजा जाता है।
थेनुपुरीश्वरर मन्दिर की दंतकथा
तमिलनाडु के युवा सन्त कवि, तिरुगना संबंदर भगवान शिव की पूजा के लिए कुछ अदियार (तमिल सन्तों का समूह) के साथ पट्टेश्वरम के पास एक गांव थिरुसत्तिमुत्रम में आये। चूंकि उस समय नक्षत्रों की गति मिथुन तारे की ओर थी, जिसके कारण दमनकारी गर्म हवा की लहरें उत्पन हो रही थी। उस समय उनकी आयु इतनी नही थी की वे उस भीषण ताप को सहन कर पाते। जैसा की प्राचीनकाल से ही मान्यता रही है कि भगवान भोले भण्डारी अति भोले है और वह कभी भी सहन नहीं कर पाते है कि उनके भक्त किसी भी कष्ट में रहे। इसलिए उन्होंने अपने गणों को संबंदर के मार्ग में सुन्दर मुथु पंडाल(मोतियों से बनी हुई छत) का निर्माण करने के लिए भेजा। जब संबंदर मन्दिर में पहुंचे तो उनके दर्शन की अभिलाषा से शिव जी ने गर्भगृह के बाहर उपस्तिथ नंदी जी को अपना स्थान बदलने की आज्ञा दी। संबंदर अपने ऊपर की गयी इस कृपा से धन्य हो गये और उन्होंने अपने भजनों में भगवान शिव को सदैव ही पूजनीय स्थान प्रदान किया है।
थेनुपुरीश्वरर मन्दिर की वास्तुशैली
यहाँ की माँ दुर्गा का मन्दिर अति लोकप्रिय मंदिर है। यहाँ अन्य मंदिरों के विपरीत, यहाँ भगवती दुर्गा का अष्टभुजी विग्रह अति शांत स्वरूपी है।थेनुपुरीश्वरर मन्दिर में उपस्थित दुर्गा माता मन्दिर की मुख्य विशेषता है की यहाँ पर उपस्थित सिंह का मुँह बाई ओर है। देवी के त्रिबंगा रूप में हाँथों में शंख, चक्र, धनुष, बाण, तलवार, ढाल और एक तोता है।
थेनुपुरीश्वरर मन्दिर के पर्वोत्सव
मन्दिर के पुजारी पर्वोत्सव की अवधि और दैनिक आधार पर अनुष्ठान करते है। थेनुपुरीश्वरर मन्दिर प्रातः ६:०० बजे से अपराह्न ११:०० बजे तक और सायं ४:०० बजे से रात्रि ८:३० बजे तक खुला रहता है। मन्दिर के पारम्परिक अनुष्ठान दिन में ६ बार किये जाते है, जो इस प्रकार है -
- प्रातः ६:०० बजे - उषाथकलम
- प्रातः ९:०० बजे - कला शान्ति
- अपराह्न १२:०० बजे - उचिकलम
- सायं ६:०० बजे - सयारक्षाई
- सायं ८:०० बजे - इरान्दमकलम
- रात्रि ९ :०० बजे - अर्ध जमाम
थेनुपुरीश्वरर मन्दिर कैसे पहुँचे ?
यूँ तो थेनुपुरीश्वरर मन्दिर साल भर तिर्थयात्रियों से भरा रहता है, किन्तु विशेष रूप से अप्रैल से जून तक का समय सबसे उपयुक्त समयों में से एक है जब मुथुपंडल और वैकासी विसगम पर्वोत्सवो का आयोजन किया जाता है। उस समय मन्दिर परिसर पूर्ण रूप से जाग्रत हो जाता है। अतः यदि आप यहाँ आने की योजना है तो इस माह के दौरान अपनी योजना बनाये और मन्दिर की भव्यता का पूर्ण आनन्द ले।
थेनुपुरीश्वरर मन्दिर, पट्टेश्वरम पहुंचने के लिए आपकों सबसे निकटम रेलवे स्टेशन कुम्भकोणम है, जहां से थेनुपुरीश्वरर मन्दिर 6 किमी की दूरी पर कुम्भकोणम-आवूर मार्ग पर स्थित है। आप कुम्भकोणम रेलवे स्टेशन से किराये पर कैब, ऑटो, सरकारी या निजी बस जो की सुगमता से उपलब्ध है, की सहायता से थेनुपुरीश्वरर मन्दिर पहुँच सकते है। सबसे निकट हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली (९१किमी) की दूरी पर है। जहां से कुम्भकोणम तक आप रेलवे अथवा सड़क मार्ग से पहुंच सकते है।
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