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रामास्वामी मन्दिर

भारत के प्राचीन और प्रतिष्ठित राम मन्दिरों की श्रृंख्ला में दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कावेरी नदी के तट पर स्थित कुम्भकोणम का रामास्वामी मन्दिर एक अतुलनात्मक मनका है। रामास्वामी मन्दिर की मूर्ति, रामदरबार के समकक्ष निर्मित की गयी है, जिसमे श्री जानकीवलभ व जनकदुलारी सिंहासन पर विराजित है, चारो भ्राता सिंहासन के चारो ओर चतुर गण की तरह खड़ी मुद्रा में और श्री आंजनेय चरणों के पास  मुद्रा में विराजमान दर्शायें गए है। 


रामास्वामी मन्दिर

मन्दिर १५६०-१६३४ की कालावधि जिसमें तंजावुर नायक राजा अच्युतप्पा और उनके बाद रघुनाथ नायक ने कुम्भकोणम में शासन किया था। मन्दिर का निर्माण तीन स्तरीय राजगोपुरम के साथ विशाल ग्रेनाइट की दीवारों के साथ सदियों प्राचीन द्रविण शैली, जो उसकालावधि की उत्कृष्ट वास्तुकला शैली थी, में किया गया है। जिसके परिसर में छोटे छोटे मन्दिर और जलकुण्ड है। मन्दिर में गर्भगृह और त्रिस्तरीय गोपुरम के बीच ६४ स्तम्भों वाला महा मण्डपम है, जिसमें हिन्दू ग्रन्थ रामायण की पूर्ण कथा को दर्शाया गया है, जैसे वानरराज सुग्रीव और लंकापति विभीषण के राज्याभिषेक, पवनपुत्र का वीणा बजाना, ॠषि पत्नी अहिल्या का उनके श्राप से मुक्त होना आदि। यदि आप हिन्दुओं के मंदिर में दर्शन करने के नियम को मानते हुए प्रदक्षिणम के नियम का पालन करते है तो आप इस कथा को पूर्ण रूप से पड़ने का आनन्द ले सकते है। 


रामास्वामी मन्दिर

रामास्वामी मन्दिर पंचरात्र आगम और वडकलाई परम्परा पालन करता है। मन्दिर के पुजारी पर्वोत्सव की अवधि और दैनिक आधार पर अनुष्ठान करते है। वैष्णव प्रथा का पालन करते हुए भगवान श्री हरी नारायण को समर्पित पुजारी ब्राह्मण वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित होते है। मन्दिर प्रातः ६:३० बजे से रात्रि ९:०० बजे तक दर्शर्नाथ खुला रहता है। 

मन्दिर के पारम्परिक अनुष्ठान दिन में ६ बार किये जाते है, जो इस प्रकार है -

  • प्रातः ८:०० बजे - तिरुवानंदल 
  • प्रातः ९:०० बजे - कला शान्ति 
  • अपराह्न १२:३० बजे - उचिकलम 
  • सायं ६:०० बजे नित्यानुसन्धनम 
  • सायं  ७:३० बजे इरान्दमकलम 
  • रात्रि ९:०० बजे अर्ध जमाम 

प्रत्येक अनुष्ठान तीन चरणों में किया जाता है - अलंगारम (स्नान और सजावट), निवेथानम (प्रसाद समर्पण) और दीपा अरदानई (दीप आरती)। प्रत्येक अनुष्ठान में समर्पित निवेथानम क्रमशः दही चावल, वेन पोंगल, मसाला भात, डोसा, वेन पोंगल और चीनी पोंगल होता है। तमिल माह पंगुनी (मध्य मार्च-मध्य अप्रैल) जब मन्दिर का मुख्य उत्सव रामनवमी मनाया जाता है, मन्दिर में जाने का सबसे उत्तम समय है। 

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