मानस राष्ट्रीय उद्यान, जिसे यूनेस्को ने प्राकृतिक विश्व धरोहर की पदवी से सजाया है, ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक मानस नदी के दोनों ओर स्थित एक ऐसी सुरक्षित शरण स्थली है जिसमें कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां फल फूल रही है। मानस राष्ट्रीय उद्यान को बाघों ( बंगाल टाइगर ), एशियाई हाथीओं और दुर्लभ वनस्पतियों को अद्धभुत रूप से संरक्षण प्रदान करने कारण क्रमशः बाघ रिजर्व ( टाइगर रिर्जव ), हाथी रिजर्व और बायोस्फीयर रिजर्व के रुप भी चिन्हित किया गया है।
९५० वर्ग क्षेत्र में फैला मानस राष्ट्रीय उद्यान भूटान देश में स्थित रॉयल मानस राष्ट्रीय उद्यान के साथ अपनी सीमा को साझा करने के साथ ही साथ असम के पांच जिलों - चिरांग, दारांग, कोकराझार, उदलगुरी और बस्का जिले को कवर करता है। राष्ट्रीय उद्यान के केन्द्र में केवल एक वन गांव पगरांग है। तथा ५६ और गांव जो इस विशाल उद्यान की सीमा पर बसे हुए है किसी न किसी प्रकार से अपने दैनिक जीवन के लिए मानस राष्ट्रीय उद्यान पर ही निर्भर करते है। एक विशाल क्षेत्र में विस्तारित मानस राष्ट्रीय उद्यान को पारिस्थिकीय के अनुसार तीन मुख्य भागों में बाँटा गया है -
२. बांसबारी या मध्य भाग
३. पनबारी या पश्चिमी भाग
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मानस राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
मानस आर.एफ. एक आरक्षित वन था। जिसका प्रयोग कूचबिहार के शाही परिवार और गौरीपुर के राजा द्वारा अपने शिकार के शौक को पूरा करने के लिए किया जाता था। जिसे १ अक्टूबर १९२८ को ३६० वर्ग किमी के क्षेत्र को एक अभ्यारण्य में बदल दिया गया। वर्ष १९७३ में सरकार के किये गए प्रयासों से इसे मानस बायो रिजर्व के रूप में एक अलग ही पहचान मिली। १९८५ में इस सुन्दर अभ्यारण्य को यूनेस्को ने अपनी संरक्षण सूची में सूचीबद्ध करते हुए संरक्षण प्रदान किया। परन्तु अवैध शिकार और नक्सलियों द्वारा किये गए हनन को देखते हुए १९९२ में इसे विश्व धरोहर स्थल जो खतरे में थी की सूची में अंकित कर दिया। स्थानीय व सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम २१ जून २०११ को दृष्टिगोचर हुआ जब इसे विश्व धरोहर स्थल जो खतरे में थी की सूची से यूनेस्को द्वारा हटा लिया गया। परन्तु तब तक इसका क्षेत्रफल ३६० वर्ग किमी से बढ़ कर ५०० वर्ग किमी तक हो चुका था।
मानस राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक पारिस्थितकी
मानस नदी जो भारत और भूटान को अलग करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा है। मानस राष्ट्रीय उद्यान के पश्चिम में बहने वाली मुख्य नदी है। मानस नदी के अतिरिक्त अन्य पांच छोटी नदियाँ जिन्होंने इस वन्य जीवन को फलने फूलने का अवसर प्नदान किया है। बाहरी हिमालय की तलहटी के नीचे एक विस्तृत निचली जलोढ़ छत पर स्थित है। पार्क के उत्तर में सवाना क्षेत्र का आधार चूना और बलुआ पत्थर है। वहीं दक्षिणी क्षेत्र घास के मैदान और बारीक जलोढ़ के गहरे निक्षेपों पर खड़ा है।
मानस राष्ट्रीय उद्यान का वानस्पतिक खजाना
उप-हिमालयी भाबर तराई और हिमालयी उपोष्णकटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले जंगलो के इस ही स्थल पर मिलने का कारण मानस राष्ट्रीय उद्यान को एक समृद्ध जैव विविधता के केन्द्र के रूप में प्रत्यक्ष करता है। उद्यान मूल रूप से लगभग ५४३ विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित करती है। जिनमें ३७४ पौधों की प्रजातियां द्विबीजपत्री, १३९ पौधों की प्रजातियां मोनोकोटाइलडॉन और ३० पौधों की प्रजातियां टेरीडोफाइट्स और जिम्नोस्पर्म है। इस प्रकार वनस्पतियों के विभाजन से वन मुख्यतः ४ प्रकार के वनों का निर्माण होता है -
२. पूर्वी हिमालय मिश्रित नम और शुष्क पर्णपाती वन
३. काम जलोढ़ सवाना वन
४. असम घाटी अर्ध सदाबहार जलोढ़ घास के मैदान
इसके अतिरिक्त सामान्य वृक्ष प्रजातियां भी पायी जाती है जो इस प्रकार है -
अपानामिक्सिस पॉलीस्टाच्या, एन्थोसेफालस चीनेंसिस, सिजिगियम क्यूमिनी, सिजिगियम फॉमोरसम, सिजिगियम ओबलाटम, बौहिनिया पुरपुरिया, मलौटस फिलिपेन्सिस, सिनामोमम तमाला, बॉमबैक्स सेइबा, लेविरिया, स्टरकुलिया विलिएरिया गैस के मैदानों में पाई जाने वाली इम्पेराटा सिलिन्ड्रिका, सैकरम नारंगा, फ्राग्माइट्स कारका, अरुण्डो डोनेक्स आदि।
मानस राष्ट्रीय उद्यान का वन्यजीव खजाना
मानस राष्ट्रीय उद्यान में एक समृद्ध वन्य जीवन जिसमे बड़ी संख्या में पशु और पक्षी देखने को मिलते है, साथ साथ निवास करते है। उद्यान में संरक्षित स्तनधारियों की ५५ प्रजातियों में से ३१ प्रजातियां खतरे में सूचित जीवों की श्रेणी में है। इसके अत्रिरिक्त उद्यान पक्षियों की ३८०, सरीसृपों की ५० और तीन उभयचरों की प्रजातियों को संरक्षित करता है।
मानस राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षित मुख्य पशु प्रजातियां
| मानस राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षित मुख्य पक्षी प्रजातियां
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मानस राष्ट्रीय उद्यान में क्या किया जाये ?
मानस राष्ट्रीय उद्यान प्राकृतिक विविधता का आनंद लेने के लिए कई प्रकार की गतिविधियां प्रधान करता है। जिनमे से मुख्य इस प्रकार है -
२. हाथी सफारी
३. रिवर राफ्टिंग
४. सीमावर्ती गांव और चाय के बागानों का दौरा
५. बर्डवाचिंग
जीप सफारी
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जीप सफारी का संचालन प्रतिदिन दो समय पर किया जाता है। जिसका मूल्य ३६००/- रुपए प्रति जीप है। (मूल्य में चेंज हो सकता है )
- प्रातः ९:०० बजे से दोपहर १२:०० बजे तक
- दोपहर २:०० बजे से सायं ५:०० बजे तक
हाथी सफारी
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Image Source - Google इमेज by https://www.manasnationalparkonline.in/ |
हाथी सफारी का समय
हाथी सफारी सबसे पसंदीदा सफारी है परन्तु या सिर्फ सुबह के समय ६:०० बजे से ७:०० बजे तक एक घंटे के लिए आयोजित की जाती है। जिसका मूल्य ५०० रु भारतीय पर्यटकों के लिए तथा १५०० रु विदेशी पर्यटकों के लिए है।
रिवर राफ्टिंग
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Image Source - Google इमेज |
सीमावर्ती गांव और चाय के बागानों का दौरा
बर्डवाचिंग
मानस राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे ?
हवाई जहाज के द्वारासबसे निकटतम हवाई अड्डा गुवाहाटी का गोपीनाथ बोरदोलोई हवाई अड्डा हैं। जहा से मन्दिर की दूरी १८० किमी है। जिसके बाहर निकलते ही उद्यान की दूरी स्थानीय राजकीय बसों व किराये पर उपलब्ध टैक्सी व ola / uber के द्वारा भी तय की जा सकती है। | ट्रेन द्वाराअसम का बारपेटा रेलवे स्टेशन राष्ट्रीय उद्यान से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है।जो गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है। जिसकी दूरी उद्यान से २५ किमी के आसपास है। | सड़क द्वारागुवाहाटी से राष्ट्रीय उद्यान की दूरी लगभग १८० किमी के आसपास है। जिसे टैक्सी द्वारा तय करने के लिए ५ घंटे कम से कम लगते है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या २७ बारपेटा को बांसबारी ( प्रवेश पॉइंट ) से जोड़ता है। यातायात के समुचित प्रबंध होने के कारण यह यात्रा सड़क मार्ग से बड़ी ही रोचक और कैमरे में कैद करने वाली है। |
1 टिप्पणियाँ
Nice
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