कोच्चि भारत का वो हिस्सा है, जो अतीत के पन्नों में संजोयी हुई अपनी ऐतिहासिक इमारतों और संरचनाओ को अपने में संजोये हुए है। सांता क्रूज बेसिलिका, कोच्चि में स्थित एक ऐसी ही स्मारक है जो अपने अन्दर इतिहास, कलात्मकता और वास्तुशैली की उत्कृष्टता के साथ ही साथ भक्ति को भी अपने अन्दर समेटे हुए है। सांता क्रूज बेसिलिका केरल में स्थित ९ बेसिलिकाओं में से एक है। यह बेसिलिका भारत के दूसरे सबसे पुराने कोचीन के सूबा के कैथेड्रल चर्च के रूप में कार्यान्वित है। बेसिलिका प्रभु यीशु मसीह के पवित्र क्रॉस के अवशेषों की मेजबानी एक लम्बे समय से करता आया है।
सांता क्रूज बेसिलिका का इतिहास
राजा उन्नी गोदा वर्मा तिरुमुलपाडु ने २४ दिसम्बर १५०० में पेड्रो अल्वारेस की अध्यक्षता में आने वाले पुर्तगाली मिशनरियों का स्वागत किया। जिस घटना ने कोचीन साम्राज्य के विरुद्ध कालीकट के जमोरिन को युद्ध करने के लिए प्रेरित कर दिया। १५०३ में कमांडर डोम अफोंसो डी अल्बुकर्क के अधीन पुर्तगाली सेना से राजा के शत्रुओं को परास्त करने के बाद उनसे कोच्चि में एक भव्य किले के निर्माण की आज्ञा प्राप्त की। १५०५ में पहले पुर्तगाली वायसराय को कोच्चि के राजा से चर्च बनाने की अनुमति मिली। ३ मई १५०५ में होली क्रॉस के आविष्कार के पर्व के दिन इसकी नीव रखी गयी तथा इस सुन्दर इमारत का नाम सांताक्रूज रखा गया है। चर्च इस किले के पूर्वी भाग में स्थित है।
पुर्तगालियों के बाद कोच्चि पर डचों के द्वारा आधिपत्य कर लिया गया और उन्होंने सभी कैथोलिक इमारतों को नष्ट कर दिया। बची हुई इमारत को अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया। तत्कालीन इमारत जिसका निर्माण १८८७ में किया गया। १९८४ में पॉप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा बेसिलिका घोषित कर दिया गया।
सांता क्रूज बेसिलिका की वास्तुकला
इंडो-यूरोपीय और गाँथिक वास्तुशैली का उत्कृष्ट नमूना सांता क्रूज बेसिलिका है। जिसकी लकड़ी की बनी हुई पैनल और पैनलिंग बड़ी ही प्रभावशाली संरचना को परिलक्षित करते है। आने वाले सैलानियों के मध्य मुख्य आकर्षण कैथेड्रल के अन्दर मौजूद कुछ चित्र जो की इतालवी मूल के है के साथ साथ ही साथ इस निर्माण के दो ऊँचे शिखर है जो की पूर्णतया श्वेत है किन्तु आँतरिक दीवारें शानदार पेस्टल रंगों से सुसज्जित है। चर्च की मूल भित्ति के निर्माण के समय इतालवी चित्रकार जेसुइट फ्रा एंटोनियो मोशेनी द्वारा बनाई गयी पेंटिंग जो 'द पैशन एंड डेथ ऑन द क्रॉस' और 'द लास्ट सपर' की थीम पर आधारित है से भीतरी दीवारों और छत को सजाया गया है।
सांता क्रूज बेसिलिका तक कैसे पहुँचे ?
आप सांता क्रूज बेसिलिका जाने के लिए अपनी पसंद के मार्ग का चयन कर सकते पर बेसिक संसाधन तो वही है जो आप को उसके निकट तक पहुंचा सकते है।
हवाई मार्ग से - निकटतम हवाई अड्डा कोच्चि में स्थित कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जहां से सांता क्रूज बेसिलिका की दूरी ४५ किमी के लगभग है। वहां से आप स्थानीय बस सेवा अथवा प्राइवेट कैब या टैक्सी लेकर अपने यात्रा के पड़ाव पर पहुंच सकते है।
रेल मार्ग से - निकटतम रेलवे स्टेशन से एनार्कुलम है। जहां से सांता क्रूज बेसिलिका की दूरी १२ किमी के लगभग है। वहां से आप स्थानीय बस सेवा अथवा टैक्सी लेकर अपने यात्रा के पड़ाव पर पहुंच सकते है।
नाव द्वारा जल मार्ग से - लेकिन आने वाले सबसे पसंदीदा साधन के रूप में एनार्कुलम से नाव का उपयोग करके कोच्ची समुद्र तट पर पहुंचना करते है जहां से सांता क्रूज बेसिलिका सिर्फ एक किमी की दूरी पर स्थित है।
निकटम दर्शनीय स्थल
जब आपने सांता क्रूज बेसिलिका आने की योजना बना रहे है तो उसके आस पास के दर्शनीय स्थल देखना न भूलें, जो आप की इस यात्रा को हमेशा के लिए ही आप के मन मस्तिक में संजो देगी।
१. मट्टनचेर्री पैलेस ( २.६ किमी )
२. बिशप हाउस ( ७०० मी )
३. केरला कथकली सेन्टर ( १०० मी )
४. कोच्ची फोर्ट ( २५० मी )
५. फोर्ट कोच्ची समुद्रतट ( १ किमी )
६. काशी आर्ट कैफे ( ४०० मी )
सांता क्रूज बेसिलिका की यात्रा के कुछ उपयोगी टिप्स
१. चूंकि यहाँ का अधिकतम तापमान ३० डिग्री के आस पास ही रहता है तो अपनी यात्रा को इस प्रकार से नियोजित करें कि आप सुबह जल्दी अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान कर सके।
२. हल्के रंग के वस्त्रों को चयन करे।
३. अपने साथ उचित पानी और पेय पदार्थों का संग्रह करे।
४. सांता क्रूज बेसिलिका प्रातः ९:०० बजे से प्रातः ११:०० बजे और अपराह्न ३:०० बजे से सायं ५:०० बजे तक खुला रहता है। अतः आप अपने समय को उसी प्रकार से प्रबंधित करे क्योकि सांता क्रूज बेसिलिका को देखने और समझने के लिए आप को कम से कम २ घंटे का समय आवश्यक है।
५. सामूहिक प्रार्थना रविवार को ५:५० बजे सायं और बुधवार को सायं ६:०० आयोजित की जाती है। अतः इस समय आप अवश्य ही पहुँचने की योजना बनायें।
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