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होगेनक्कल जलप्रपात

होगेनक्कल जलप्रपात

होगेनक्कल जलप्रपात दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के धर्मपुरी जिले जो कि तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा जिला है, के पेन्नाग्राम उपमंडल के कुथापड़ी पंचायत और कर्नाटक राज्य के चामराज नगर जिले के बीच सीमा पर कावेरी नदी पर बना एक झरना है। कावेरी नदी जो की होगेनक्कल जलप्रपात को जन्म देती है, तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच एक प्राकृतिक राज्यीय सीमा के रूप में कार्यकरतीहै। इस जलप्रपात को इसका यह नाम इसके चारो ओर उपस्थित अद्वितीय रॉक व्यवस्था के कारण "ध्रूमपान करने वाली चट्टानों" के कारण मिला है। तमिलनाडु के स्थानीय लोग इसे मरिकोट्टयम भी कहते है। 


कावेरी नदी कर्नाटक के कोडागु जिले के थलाकावेरी में पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरि पहाड़ियों से निकलती हुई होगेनक्कल में प्रवेश करती है। जिस कुंड में यह गिरता है, उसे 'वांगकुण्डम' या 'बलि का गड्ढा' कहा जाता है। अपनी धार्मिक पवित्रता के अलावा यह प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए भी प्रसिद्व है। 


होगेनक्कल जलप्रपात
होगेनक्कल जलप्रपात
कावेरी जो दक्षिण भारत की एक बड़ी नदी है। जब होगेनक्कल में गिरती है तो चट्टानी इलाके के कटाव की वजह से कई जलप्रपातों का निर्माण करता है। जिनकी ऊंचाई कई स्थानों पर २० मीटर तक है।नदी की तलछट जो की डाउन रिवर भूमि को उपजाऊ बनाता है। पेन्नाग्राम से होगेनक्कल तक १५ किमी की दूरी बहुत ही दिलचस्प इलाके से होकर गुजरती है। जहा से गुजरते हुए मार्ग में आपकों शहतूत के हरे भरे खेत, रेशमकीटो के किये चारा और अरंडी के वृक्षों वाले गांव देखने को मिलेंगे। रास्ते में ग्रामीण बस्तियों के बाहरी क्षेत्रों में उनके आकर्षण ग्राम देवता जिन्हे अय्यर कहते है मुर्तिया देखने को मिलती है, जो ईंट की बनी हुई विशाल और चमकीले रंग की आकृतियां होती है। जैसे-जैसे झाड़-झंखाड़ से ढकी हुई ढलानें कंटीली वनस्पतियों की और जाती हुई लगभग अदृश्य हो जाती है और इनका स्थान हरे भरे ऊँचे ऊँचे वृक्ष और बहते पानी की नरम गर्जना लेने लगती है।


होगेनक्कल कैसे पहुंचे?

होगेनक्कल के मनमोहक झरनों के कारण एक प्रमुख ईको-पर्यटन केन्द्रो में से एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। जो साल की सभी ऋतुओं में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है परन्तु सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के ठीक बाद का है। इस समय नदी अपने पूरे उफान पर होती है तथा मौसम भी हल्का गर्म होता है। सेलम, धर्मपुरी, बंगलोर और चेन्नई यहाँ से यह प्रमुख सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है जहां तक आप रेल व वायु मार्ग से देश के विभिन्न भागों से पहुंच सकते है। 

क्र. मोड ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन पथ दूरी (लगभग)
१. सड़क मार्ग से धर्मपुरी से होगेनक्कल ४८ किमी
२. सड़क मार्ग से होसुर से होगेनक्कल, डेंकानिकोट्टई और एंचेटी होते हुए ९० किमी
३. सड़क मार्ग से सलेम से होगेनक्कल, मेचेरी और पेनागारम होते हुए ८७ किमी
४. सड़क मार्ग से सलेम से होगेनक्कल, धर्मपुरी होते हुए ११० किमी
५. रेल मार्ग से निकटतम स्टेशन - मोरपुर ७० किमी
६. रेल मार्ग से निकटतम स्टेशन - सलेम ९० किमी
 ७.  रेल मार्ग से निकटतम स्टेशन - धर्मपुरी ४८ किमी
८.  हवाई मार्ग से  निकटतम हवाई अड्डा - सलेम ९० किमी
९. हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा - बंगलौर    ११० किमी

मुख्य आकर्षण 

कोराकल राइड 

पर्यटकों के सबसे पसंदीदा आकर्षणों में से एक होने के नाते, जिला प्रशासन, वन विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से पर्याप्त सुरक्षा उपायों को अपनाकर पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। शुष्क मौसम के दौरान होगेनक्कल में नौका विहार (कोराकल राइड) की ही अनुमति है क्योंकि इस समय झरने का बहाव में तीव्रता होती है जिससे नावों (कोराकल) का मार्ग बाधित नहीं होता है। यह कोराकल नाव संचालकों की आय का मुख्य स्रोत है। कोराकल लगभग २ .२४ मीटर (लगभग ७.५ फ़ीट) व्यास के होते है और इस पर एक बार में ८ व्यक्तियों को ले जा सकते है। ये मूंगे बांस से बने होते है। नावों का निचला हिस्सा खाल का इस्तेमाल कर के जलरोधी बनाया जाता है। कभी कभी खाल की जगह प्लास्टिक का भी प्रयोग किया जाता है। इन नावों को एक ही चप्पू का उपयोग कर के चलाया जाता है जो इसे अद्वितीय बनाता है। कोराकल को स्थानीय रूप से तमिल में पेरिसल और कन्नड़ में टेपा या हरिगोलु कहा जाता है 

होगेनक्कल जलप्रपात होगेनक्कल जलप्रपात
अधिकतम व्यक्तियों को अनुमति : ४+१ व्यक्ति प्रति कोराकल 
कोराकल राइड का समय : प्रातः ७:०० बजे से सायं ५:०० बजे तक 
कोरकल राइड की अवधि : १ घंटा ३० मिनट अधिकतम 
शुल्क :७५०/- भारतीय रूपये प्रति समूह 

मुख्य जलप्रपात 

होगेनक्कल जलप्रपात
होगेनक्कल
 जलप्रपात एक आकर्षण जलप्रपात है जो कावेरी नदी का एक हिस्सा है। चूँकि नदी का पानी औषधीय गुणों वाली जड़ी बूटियों के जंगलों से होकर प्रवाहित होता है, इसलिए यह स्थान अपनी उपचारात्मक शक्ति के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है। इसलिए तेल मालिश के बाद होगेनक्कल जलप्रपात में स्नान करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। 


तेल मालिश इस जल प्रपात में आने वाले पर्यटकों के मध्य एक आकर्षण का केंद्र है। स्थानीय लोगों के पास मानव शरीर में हर तंत्रिका का पूर्ण ज्ञान होता है जिनको किस प्रकार कितने दवाब से दबाना है जिससे शरीर का विकास, तनाव से मुक्ति और मानसिक सतर्कता बढ़ती है। मध्य जुलाई से अगस्त  दौरान मुख्य जलप्रपात में स्नान करना प्रतिबंधित है क्योंकि इस समय पानी का प्रवाह काफी तेज होता है। 

समय :  सायं ६ बजे तक  


वॉच टावर 

होगेनक्कल जलप्रपात
वाच टावर द्वारा लिया गया दृश्य 
प्रयटकों को मन्त्र मुग्ध करने वाले झरनों को देखने वालो के लिए होगेनक्कल वनविभाग के साथ साथ होगेनक्कल ईको टूरिज्म सोसाइटी ने वाच टावर बनाये है। जिस पर से कावेरी नदी द्वारा बनाए गए कई झरनों का विहंगम दृश्य का आनंद लिया जा सकता है। जिसके लिए आप को एक

मामूली सा शुल्क देना पड़ता है। 


समय :  सायं ५ बजे तक 

शुल्क : ५/- रुपये प्रति व्यक्ति 


हैंगिंग ब्रिज 

होगेनक्कल जलप्रपात
हैंगिंग ब्रिज
होगेनक्कल में हैंगिंग ब्रिज के लम्बे समय तक बंद रहने से पर्यटकों के उत्साह में कमी आयी है, खासकर लम्बे सप्ताहांत और पर्यटन स्थल में मनोरंजक विविधता की कमी के कारण। यह ब्रिज रॉक हेड की तरफ जाता है, जहां से पांच फॉल्स दिखाई देते है। यह लटकता हुआ पुल कावेरी नदी के किनारे रहने वाली आबादी को निकटम शहरों से जोडता है। 


समय: सुबह ८ बजे से शाम ६ बजे तक 

मगरमच्छ पुनर्वास केंद्र 

मगरमच्छ पुनर्वास केंद्र की स्थापना १९७५ में हुई थी। यहाँ ११३ मगरमच्छों को २२ बाड़ों में रखा गया है।इन मगरमच्छों को हर तीसरे दिन मानक मानदंडों के अनुसार खिलाया जाता है और उनकी निगरानी एक सहायक पशु चिकित्सक द्वारा नियमित रूप से की जाती है। चूंकि यह स्थान मुख्य रूप से बच्चों को आकर्षित करता है इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए पुनर्वास केंद्र में एक पार्क भी बनाया गया है जो बच्चों की मगरमच्छ देखने से होने वाली थकान को मिटने के लिए काफी है।  



 



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