श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर कुम्भकोणम में स्थित मुख्य मन्दिर है, जो भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है। जो महामहम जलकुंड के अति निकट स्थित है। शिव जी काशी विश्वनाथ के रूप में पूजित है जिसका प्रतिनिधित्व शिवलिंग द्वारा किया जाता है। उनकी पत्नी देवी पार्वती को देवी विशालाक्षी के रूप में दर्शाया गया है।७वीं शताब्दी के तमिल कवियोँ द्वारा तेवरम (शिव वंदना) में पीठासीन देवता भगवान काशी विश्वनाथ को वर्णित किया गया है। इसके अतिरिक्त काशी विश्वनाथ मन्दिर को पाडल पेट्रा स्थलम (महाद्वीप के सर्वक्षेष्ठ शिव मन्दिर) की श्रेणी में रखा गया है।
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राजगोपुरम काशी विश्वनाथ मन्दिर |
प्राचीन कथाओं के अनुसार, नौ देव नदियों (गंगा, यमुना, नर्मदा, सरस्वती, कावेरी, गोदावरी, तुंगभद्रा, कृष्णा और सरयू) ने काशी में भगवान शिव से प्रार्थना की कि उनमें स्न्नान करने वालों के पापों से उन्हें मुक्ति प्राप्त करने हेतु उनका मार्गदर्शन करें। तब शिव जी ने उन्हें कुम्भकोणम में जाकर महामहम जलकुंड में स्न्नान करने और आदि कुम्भेश्वर की पूजा करने का निर्देश दिया। जिसके लिए भगवान शिव ने स्वयं को कुदंडाईकोरोनम में प्रकट किया था।
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मन्दिर में पुजारियों द्वारा विशेष त्योहारों व दैनिक पूजा अलग अलग प्रकार से की जाती है। मन्दिर प्रतिदिन प्रातः ६ बजे से अपराह्न १२ बजे तक व सायं ४ बजे से रात्रि ९ बजे तक खुला रहता है, जिसमें ६ प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किये जाते है। प्रातः ६ बजे - कलासंथी प्रातः ९ बजे - इरादमकलाम, १२ बजे अपराह्न - उचीकलम, सायं ६ बजे - सयाराक्षई, सायं ७:३० बजे - इरादमकलाम और रात्रि ९ बजे - अर्धजमाम। प्रत्येक अनुष्ठान के ४ चरण होते है - अभिषेक (स्नान),अलंगरम(श्रृंगार),निवेथानम(नैवेद्य अर्पण) और दीपा अरदानई(आरती)। मन्दिर में अन्य शिव मन्दिरों की तरह ही सोमवार और शुक्रवार को साप्ताहिक अनुष्ठान, प्रदोष जैसे पाक्षिक व मासिक पर्व जैसे अमावसई, किरुथिगई, पूर्णनामि आदि उत्सव मनायें जाते है। फरवरी से मार्च माह के दौरान मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि उत्सव मन्दिर में मनाया जाने वाला मुख्य पर्वोत्सव है।
कुम्भकोणम के १२ मन्दिर जो की महामहम उत्सव से जुड़े हैं। महामहम उत्सव जो की प्रति १२ वर्षों में आयोजित किया जाता है, जो उत्तर भारत के कुम्भ पर्व के ही प्रकार का एक उत्सव है। इस पर्वोत्सव में समलित होने वाले १२ मन्दिरों जिनमें से १० मन्दिर कुम्भकोणम में ही है, की सूचीं इस प्रकार है -
२. आदिकुंभेश्वर मन्दिर
मंदिर की मुख्य विशेषता शिवलिंग का समय के अनुसार बढ़ना है।
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